The 2-Minute Rule for पारद शिवलिंग क्या है

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पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।

सात सुरो मैल हो जब पारद शिवलिंग हो गये मतवाले मैरो चले चली साथ बनकर योगिनी

सुखी जीवन का सूत्र: एक शिष्य ने रामकृष्ण परमहंस से पूछा कि सभी लोग सुख-सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, लेकिन साधु-संतों के लिए इतने कठोर नियम क्यों बनाए गए हैं?

आपको अपने घर में बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।

देवघरात ठेवण्यात येणाऱ्या शिवलिंगाचा आकार आपल्या अंगठ्यापेक्षा अधिक असू नये.

इस श्लोक में बताया गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है।

यह घर के वातावरण को सुखमय और समृद्ध बनाता है।

पारद शिवलिंग से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

ब्रह्मचारिणी – ह्रीं श्रीं अम्बिकायै नमः।।

शिवलिंग: ज्योतिषीय महत्व, स्थापना विधि एवं मंत्र

अंत में वह सब सुखो को भोग कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा

स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से check here नहीं।

पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग की स्थापना

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